सोनल शर्मा – किसान की बेटी बनी जज | खेती के काम के साथ की पढ़ाई | Sonal Sharma Success Story

डेयरी चलाने वाले कि बेटी बनी जज , गाय के तबेले में गोबर फेंकने से लेकर पिपे की टेबल बनाकर करती थीं पढ़ाई।

राजस्थान की झीलों की नगरी उदयपुर जिला मुख्यालय पर प्रताप नगर में दूध की डेरी चलाने वाले की बेटी सोनल शर्मा जज चुकी है जज।

सोनल शर्मा के बारे में जानकारी | Story of Sonal Sharma

सोनल उदयपुर के प्रताप नगर की रहने वाली है उनके पिता का नाम ख्यालीलाल शर्मा और माता का नाम जसबीर है सोनल का जन्म 7 दिसंबर 1993 में हुआ।माता पिता की इंटर रिलीजन मैरिज हुई थी जिसके कारण समाज में उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया जाता था ना किसी शादी, समारोह और ना किसी बैठक में बुलाया जाता था लोगों का व्यवहार, लोगों की नजरें बहुत अजीब हुआ करती थी। सोनल जिस समाज से आती है वहां सरकारी नौकरी बहुत बड़ी बात थी सरकारी नौकरी को बहुत ही सम्मानजनक माना जाता था । अब क्योंकि उस समाज में उनके माता-पिता को कोई सम्मान नहीं मिल रहा था तो ऐसे में सोनल सरकारी नौकरी करके अपने माता-पिता को उनका सम्मान दिलाना चाहती थी ।

घर की माली हालत – आय का साधन 

घर में पैसे का ओर कोई साधन नहीं था केवल एक गाय का तबेला और डेयरी थी, जिसमे पूरे परिवार की परवरिश होती थी सोनल बचपन से ही अपने पापा की मदद करती थी गाय का गोबर फेकना, दूध निकालना, और तबेले कि साफ सफाई जैसे सारे काम सोनल किया करती थी अपने माता – पिता को काम करते देख वे सोचती थी कि मुझे काम भी करवाना है और साथ ही अपनी पढ़ाई में भी 100% देना है । और वे गयो के तबेले में ही खाली पीपे का टेबल बनाकर पढ़ाई किया करती थी

सोनल का स्कूल से लेकर कॉलेज तक का सफर 

सोनल सुबह 5 बजे उठती और गयो का सारा काम करती और फिर स्कूल जाती थी स्कूल में भी अपना 100% देती थी। वे सोचती थी कि जब पापा दिन – रात मेहनत कर सकते है तो मै क्यों नहीं में भी काम के साथ स्कूल में भी अपना 100% दूंगी। दसवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास की और 11वी कक्षा में आर्ट बैकग्राउंड (art background) लिया और 12 वी कक्षा में अपना 100% देकर के स्कूल में टॉप किया और हिंदी में मैरिट सर्टिफिकेट मिला ,ये सर्टिफिकेट उन 100 बच्चो को मिलता है जिनको इंडिया में हाईएस्ट मार्क होते हैं और इकोनॉमिक्स में राजस्थान टॉप किया । “पर कहते है ना कि अभी तो नापी है बस मुठ्ठी भर जमी मैंने, अभी तो सारा आसमान बाकी है” अभी तो सिर्फ 12 वी में टॉप किया था अभी तो सरकारी नौकरी पाने के लिए बहुत कुछ करना बाकी था।12 वी के बाद कुछ पता नहीं था क्या करना है ।

ऐसे में एक सर ने बोला तू बोलती अच्छा है लॉ कर ले तो मैने लॉ में एडमिशन ले लिया और बोला पास में ही कॉलेज ले ले तो मैने कॉलेज ले लिया । मुझे सिर्फ पढ़ाई में ही टॉप नहीं करना था, मल्टी टैलेंटेड बनना था कल्चर एक्टिविटी होती थी तो उसमे हिस्सा ले लेती थी और डांस में भी पार्टिसिपेट कर लेती थी सोंग्स में साथ ही एंकरिंग भी कर लेती थी ।http://topsuccessstory.com/hindi/

सोनल के जीवन का टर्निंग पॉइंट –

टर्न पोइंट यह है कि जब वे हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के जज को आते हुए देखती थीं तो वे देखती थी उन्हे वह कितना सम्मान मिलता था, उनका कैसे स्वागत किया जाता था, कितनी इज्जत मिलती थी, ऐसे में उन्होंने वहीं से ठान लिया था कि अब मुझे कुछ नहीं करना बस आरजेएस ( RJS) फाइट करना है।

अब वे टीचर्स से कहती कि मुझे गाइड कर दो मुझे आरजेएस फाइट करना है तो टीचर कहते थे कि अभी तो तुम फर्स्ट ईयर में ही हो, लॉ स्टार्ट नहीं हुआ कैसे करोगी फर्स्ट ईयर निकला सैकंड ईयर निकला और थर्ड ईयर में थोड़ा लॉस आए लेकिन वो आरजेएस वाले लॉस नहीं थे अब फोर्थ ईयर में लॉस आए अब मन में लगी को आग और झुलसने लगी ।

परीक्षा की शुरुवात करने में आयी कठिनाईया

अब तैयारी शुरू करनी थी इतना बड़ा एग्जाम है लेकिन पढ़ाई कैसे करना है कोचिंग करना है क्योंकि आरजेएस की एग्जाम पास करना था साथ ही कॉलेज भी करना था। ऐसे में लोगों ने डिमोटिवेट किया लेकिन सोनल अपने पापा को अपना आइडियल बनाकर तैयारी में लगी रही ba.llb में टॉप किया। फाइनली आरजेएस 2017 वैकेंसी आ गई थी उसकी एग्जाम 2018 में परीक्षा हुई प्री निकाला, मेंस निकाला और इंटरव्यू भी निकाला लेकिन तीन नंबर से रह गई ।

पापा को आइडियल बनाकर तैयारी की 

लेकिन उन्होंने असफलता को अपनी ढाल बनाया और सेल्फ मोटिवेशन भी किया। वे सोचती थी कि जब इस उम्र में पापा इतना कुछ करते है तो मै तो कुछ भी कर सकती हूं ।सोनल के पापा ने अपने बच्चो को पढ़ाने के लिए बहुत अपमान सहन किया और कड़ी मेहनत की ।https://wp.me/p9wTOX-3a

रिजल्ट के बाद और तैयारी की और आरजेएस 2018 की 197 वैकेंसी आ चुकी थी इस बार 100% नहीं 200% देना था फिर से उन्होंने प्रि निकाला, मेंस निकाला, इंटरव्यू भी क्वालीफाई किया लेकिन एक नंबर से मेरिट आउट हो गई अब वह बहुत डिप्रेशन में चली गई थी और साथ ही साथ चिंतित भी बहुत थी डिमोटिवेट भी हो गई डिप्रेशन और डिमोटिवेट क्या होता है यह उन्होंने यहां देखा लेकिन पता चला कि 7 बच्चे छोड़ कर जा चुके हैं और मेरा एक ही नंबर कम था तो चांस बन सकता था ऐसे में उन्होंने पढ़ाई नहीं रोकी थी और मोटिवेट हुई । 2020 दिसंबर रिजल्ट आया और वे जज बन गई ।http://topsuccessstory.com/hindi/

कहते हैं ना कि- “लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालो की हार नहीं होती “ यह सुविचार यहां बिल्कुल सही सिद्ध होता है मेहनत करके कुछ भी किया जा सकता है सोनल ने भी अपनी कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की ओर वे अंततः जज बन गई। यह उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत है जिनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है या किसी कारणवश कोचिंग सेंटर नहीं जा पाते। आज उनके पापा मम्मी के पास सोनल की बढ़ाई करने के लिए शब्द नहीं है ।वे बहुत खुश हैं।

सोनल शर्मा की उपलब्धियां

सोनल बचपन से ही बहुत होनहार थी उन्होंने एलएलबी में प्रदेश में टॉप रही महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल भामाशाह अवार्ड भी मिल चुका है रिजल्ट आने से 1 दिन पहले ही उदयपुर के सुखाड़िया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया उसमें दो गोल्ड समेत तीन मेडल प्राप्त किए इन्हें चांसलर मेडल भी मिल चुका हैhttp://topsuccessstory.com/hindi/

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