आज हम जानेंगे एक ऐसे व्यक्ति की succes story के बारे में जिन्होंने लॉकडॉउन की वजह से अपनी नोकरी खो दी और अपनी खुद की कंपनी स्टार्ट की
प्रशांत महाराजगंज जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले है जमीन जायदाद ज्यादा नही है चार बहनों की शादी और कमाने वाले अकेले पापा इन्हीं सब कारणों को वजह से शहर आ गए और शुरू से ही आप्टिकल की कंपनी में काम किया । पचास हजार रुपए महीना सैलरी थी लगातार 16 साल कंपनी में काम किया और अब lockdown कि वजह से अपनी नोकरी खो दी
नौकरी चली गई थी अब परिवार को चलाने के लिए और बच्चो के भविष्य के लिए कुछ तो करना ही था ऐसे में उन्होंने खेती से जुड़े कुछ काम ( जैसे डेयरी फार्मिंग ) के बारे में भी सोंचा पर कुछ हासिल नहीं हुआ।
अब जिस कंपनी में वे काम कर रहे थे उस कंपनी में जो लोग उनके साथ काम कर रहे थे उन्हीं से उन्होंने चर्चा की तो उन लोगो ने अपना नजरिया बताया की आप्टिकल में ही कुछ न कुछ काम करना चाहिए क्योंकि उनके पास 16 साल का अनुभव भी था ऐसे में उन्होंने खुद को कंपनी खोलने का निर्णय लिया पर कंपनी स्टार्ट करने के लिए पैसे को जरूरत थी और साथ ही रिस्क लेने का डर भी था
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने अपने बेटे को बिजनेस स्टार्ट करने के लिए प्रेरित किया और अपना रिटायरमेंट फंड भी प्रशांत को दे दिया
अब कंपनी स्टार्ट करने के लिए पैसो की जरूरत थी
पैसों के लिए FD तुड़वाई अपने पापा का रिटायरमेंट फंड भी लिया और अपनी पत्नी की सेविंग्स भी ली यहां तक कि उधार भी लिया तब जाकर कंपनी स्टार्ट की ।
कंपनी स्टार्ट करते वक्त कुछ लोगो ने डिमोटिवेट भी किया और कुछ ने कहा अभी कंपनी स्टार्ट मत करों पर प्रशांत ने ठान लिया था कि लॉकडाउन में कुछ तो करना है।
प्रशांत पहले की कंपनी में up बिजनेस हेड की भूमिका में काम करते थे उस समय 20 -22 लोगो ने उनके कहनें पर अलग अलग कंपनी से नौकरी छोड़कर अप्टिकल की कंपनी में काम किया।
यह कंपनी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनव में फैजाबाद रोड पर मटियारी गांव से पहले बालाजीपुरम कॉलोनी के टू बिएचके घर में आप्टिकल कंपनी का ऑफिस बना हुआ हैं ऑफिस अभी छोटा है लेकिन कंपनी के एमडी प्रशांत श्रीवास्तव से लेकर अकाउंटेंट तक बैठते हैं और वे कहते हैं कि कंपनी अभी छोटी है पर 2025 तक हर बड़े से बड़े शहर में ऑफिस खोलेंगे । अभी कंपनी में पूरे प्रदेश में 22 लोगों कि टीम काम कर रही हैं।
Company के बारे में जानकारी-
प्रशांत बताते हैं कि अलग अलग शहरों में अपने परिचित डाक्टरों से बात करके उनके हॉस्पिटल और क्लीनिक में अपना आउटलेट खोला लगभग आधा दर्जन शहरों में उनके आउटलेट है।
अब हर महीने लगभग 22 से 25 लाख की सेल चश्मे और लेंश की होती है। सबकी सैलरी , कम्पनी का फायदा और खर्चे निकालकर उनके पास सवा लाख रूपये बचते हैं
हर महीने 25 लाख रुपए की सेल और सवा लाख रुपए की बचत होती हैं यह एक बहुत बड़ी अचीवमेंट है।